भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदिम भय / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


हवा का एक झोंका मन्द
दिए की लौ काँपी
और हिल गया
सम्पूर्ण प्रकाश-वृत।

मैं भी जान जाता हूँ
ओ पिता !
है तुम्हीं से उत्क्रान्त
हम में व्याप्त
आदिम भय !