देख कर चौंका
चौंक कर जड़ हो गया खरगोश
खून जैसी आग के अंगार दो
दूर से ही घूर कर
तौलते खरगोश को
साँस साधे
हवा चुप है
देखती है निर्विकार
आग की लम्बी उठाल.....
इस समूचे देखने को देख कर
एक पक्षी चीख कर
कर रहा है हस्तक्षेप
वह बदलना चाहता है
बहुत-से आदिम-स्वभाव।