भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आधी-आधी रात रतिया के / महेन्द्र मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली ना
मोरा अँखिया के रे निनिया से बैरनिया भइली ना।
पिया कलकतिया घरे भेजे नहीं पतिया
से सवतिया भइली ना
कुहु-कुहु कुहुके कोइलिया से सवतिया भइली नाफ
बभना बेदरदी मोरा जनमे के बैरी से लगनिया जोड़ले ना
निरमोहिया बेदरदी से सनेहिया जोड़ले ना।
द्विज महेन्दर इहो गोवेले पुरूविया से सवतिया कइले ना,
विरहिनिया के छतिया में अंगिया धइले ना।