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आधी रोटी मिलजुलकर खा लेंगे हम / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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आधी रोटी मिलजुलकर खा लेंगे हम।
बिन साजों के गीत-ग़ज़ल गा लेंगे हम।।
बेमतलब की बातों से टकराना क्या।
हर महफ़िल में स्वर लहरी पा लेंगे हम।।
चाँद सितारे मेरे आँगन नाचेंगे।
परियों की शहजादी बुलवा लेंगे हम।।
पाकिस्तानी आतंकी नर भक्षी है।
अबकी फिर लाहौर तलक जा लेंगे हम।।
वरना रोको आतंकी इन हमलों को।
रावलपिंडी को भी हथिया लेंगे हम।।
कश्मीर हमारा, कश्मीर हमारा है।
सज्जनता से इसको सुलझा लेंगे हम।।