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आधुनिक फसलें / वैशाली थापा
Kavita Kosh से
एक देश का अपने देश में
चैन से रहना मुश्किल नहीं है
बशर्ते दूसरा देश अपने देश में चैन से रहे
मगर बेचैनी बीजों में इस तरह घुल गई है
कि सारी फसलें अशांत हो गई है
चाँद, मंगल भी चैन से रह लेते
अगर हम पृथ्वी पर बेचैन ना होते।