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आनंद की अनुभूति / लालित्य ललित

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अच्छी किताब का आनंद
बिल्कुल वैसे ही होता है
जैसे नवविवाहिता का पांव
शुभ घड़ी में घर में पड़ता है
या
बिटिया दसवीं बोर्ड की परीक्षा में
ज़िले भर में अव्वल आती है
या
किसान की फसल का
मुंह मांगा दाम मिलता है
या
लड़के की तरक्की देख
बूढ़ा पिता खुश होता है
मतलब खुशी से है
आनंद से है
अपनों से है
अपनों के लिए
उस पल से है
जिसमें हम सब
खुशी महसूस करते हैं
आनंद की प्राप्ति करते हैं
बसेसर की बहू
जिसके लड़का हुआ है
मुहल्ले में लड्डू बंटे हैं
घनश्याम की नौकरी लगी है
फ्लाने का फ्लैट निकला है
फ्लाने की शादी तय हो गई
आज रमेश की लाइट है
दूर-देश से बुलावा आया है
ऐसे मीठे पल
हम सब के जीवन में आते हैं
आयेंगे
जिन्हें हमें अक्षुण्ण रखना है
ज़माने की बुरी
नज़रों से दूर
क्या कुछ अच्छे पल
आप बांटना चाहेंगे
बताइए !
मैं सुनने को तैयार हूं
मैं ही हूं
आप के भीतर
आप का हितैषी
और कोई नहीं !