भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आनन्दमना / रश्मि विभा त्रिपाठी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
करूँ कामना
तुम रहो सदैव
आनन्दमना।
2
करूँ वन्दन
नित्य सुख सघन
प्रभु उन्हें दो।
3
है निवेदन
प्रतिपल मगन
प्रभु वे रहें।
4
प्रभु उनको
तू रखना सम्भाले
वे भोले-भाले!
5
दो आशीर्वाद!
प्रभु प्रिय मनाएँ
सदा आह्लाद।
6
तुम सम्राट!
राजसी ठाट-बाट
सदियों रहे।
7
उदार मन
करूँ राजतिलक
आओ राजन!
8
देखकरके
आँखें जाती हैं बँध
तुम्हारा कद।
9
वक्त आएगा
तुम्हारा कीर्तिमान
फहराएगा।
10
पास न आए
तुम्हें जरा-सा दुख
छू भी न पाए।
11
प्रभु से चाहूँ
मैं तुम्हारी समृद्धि
सुख में वृद्धि।