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आना जाना है बार बार उनका / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'

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आना जाना है बार बाए उनका
तार से मिल गया है तार उनका

वो मेरे दिल के दिल से दुश्मन हैं
मैंने दिल पर सहा है वार उनका

खुद से बेगाना होके बैठा हूँ
मेरे दिल पर है इख़्तियार उनका

जो कभी भूलकर नहीं आते
उम्र भर से है इंतिज़ार उनका

इक फ़रेब और एक धोखा था
इक दिखावा था हमसे प्यार उनका

वादा करके वो तोड़ देते हैं
उठ गया दिल से ऐतबार उनका

दिल में रहत तो इक खलिश रहती
हो गया तीर दिल के पार उनका

दिल में रहते हैं वो मेरे हमदम
जल्वा होता है बार बार उनका।