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आने वाले दिन की ख़बर / मक्सीम तांक

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आने वाले दिन की ख़बर
मिलती है सबसे पहले मुर्गों को
किसी को विश्वास नहीं होता उनकी बांग पर ।
पर उनकी पुकार पर
जाग उठती है बूढ़ी माँ,
जगाती है चूल्हे में सोई हुई आग को,
मेज़ पर रख देती है
रोटी के टुकड़ों को ।
उसके बाद
गाँव के ऊपर बिछ जाती हैं बादलों की तहें,
चिड़ियों के गाने की महसूस होती है गरमाहट ।

फिर हमारा जाना पहचाना सन्तरी — सारस
ले आता है कहीं से धूप,
अपनी चोंच से सहलाता है उसे
छोड़ देता है खेलने के लिए
शिशु सरसों के संग ।
— खेल लें वे भी कुछ देर
जब तक स्वयं आग का गोला
न आ धमके घोंसले के पीछे से ।

अधिक देर रुकेगा नहीं ये गोला
आ गिरेगा झोंपड़ी के बाहर बाड़ पर,
बिखर जाएगा इधर-उधर
ओस - कणों की घबराहट देखकर ।

इसी तरह निकलता है सूरज
और निकला है आज भी
हमारे पिल्कोरिशन गाँव के आकाश पर ।

रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह