भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आन पर लोग जान देते हैं / हरि फ़ैज़ाबादी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आन पर लोग जान देते हैं
आप दौलत पे ध्यान देते हैं

डूबे हैं आप ख़ुद तमाशे में
हमको गीता का ज्ञान देते हैं

बात बासी उन्हें खटकती है
रोज़ ताज़ा बयान देते हैं

कौन से दिन को वो कहें अच्छा
साल भर जो लगान देते हैं

फ़ायदा हम ही ले नहीं पाते
वो तो सबको अज़ान देते हैं

उनको किस चीज़ की कमी है जो
सबकी ख़ुशियों पे ध्यान देते हैं

अब ये दिल आपका हुआ मेरा
जाइये हम ज़बान देते हैं