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आपकी इमदाद कर सकता हूँ मैं / राजीव भरोल 'राज़'
Kavita Kosh से
आपकी इमदाद कर सकता हूँ मैं
अपने पर खुद भी क़तर सकता हूँ मैं
जिस्म ही थोड़ी हूँ मैं इक सोच हूँ
गर्क हो कर भी उभर सकता हूँ मैं
इक फकत कच्चे घड़े के साथ भी
पार दरिया के उतर सकता हूँ मैं
कह तो पाऊँगा नहीं कुछ फिर भी क्या
आप से इक बात कर सकता हूँ मैं?
बाँध कर मुट्ठी में रखियेगा मुझे
खोल दोगे तो बिखर सकता हूँ मैं