भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपकी बातें करें या अपना अफ़साना कहें / नक़्श लायलपुरी
Kavita Kosh से
आपकी बातें करें या अपना अफ़साना कहें
होश में दोनों नहीं हैं किसको दीवाना कहें
आपकी बाँहों में आकर खिल उठी है ज़िन्दगी
इन बहारों को भला हम किसका नज़राना कहें
राज़-ए-उल्फ़त ज़िन्दगी भर राज़ रहना चाहिए
आँखों ही आँखों में ये ख़ामोश अफ़साना कहें