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आपकी बातें करें या अपना अफ़साना कहें / नक़्श लायलपुरी

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आपकी बातें करें या अपना अफ़साना कहें
होश में दोनों नहीं हैं किसको दीवाना कहें

आपकी बाँहों में आकर खिल उठी है ज़िन्दगी
इन बहारों को भला हम किसका नज़राना कहें

राज़-ए-उल्फ़त ज़िन्दगी भर राज़ रहना चाहिए
आँखों ही आँखों में ये ख़ामोश अफ़साना कहें