भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपकी याद ख़ूब आती है / कैलाश झा 'किंकर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपकी याद ख़ूब आती है
बात हर आपकी निराली है।

एक पल की भी ज़िन्दगी उम्दा
सैकड़ों साल पर भी भारी है।

जीतना है तो जीतिए दिल को
ज़र-ज़मी जीतता न राही है।

झड़ के पत्ते गिरे हैं पेड़ों से
रुत सुहानी जो आने वाली है।

अब विरोधी तो देश के हित में
दे रहा ही नहीं गवाही है।

आपकी जीत हो या हो उनकी
आम जनता ही पिसने वाली है।