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आपकी याद ख़ूब आती है / कैलाश झा 'किंकर'
Kavita Kosh से
आपकी याद ख़ूब आती है
बात हर आपकी निराली है।
एक पल की भी ज़िन्दगी उम्दा
सैकड़ों साल पर भी भारी है।
जीतना है तो जीतिए दिल को
ज़र-ज़मी जीतता न राही है।
झड़ के पत्ते गिरे हैं पेड़ों से
रुत सुहानी जो आने वाली है।
अब विरोधी तो देश के हित में
दे रहा ही नहीं गवाही है।
आपकी जीत हो या हो उनकी
आम जनता ही पिसने वाली है।