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आपके आदेश सारे एक भाई की तरह / रोशन लाल 'रौशन'
Kavita Kosh से
आपके आदेश सारे एक भाई की तरह
और अनुपालन कराया है कसाई की तरह
मुफ़लिसी के रोग में अपमान हैं और गालियाँ
खा रहे हैं हम जिसे कद़्अवी दवाई की तरह
आस्था, विश्वास, प्रज्ञा, मूल्य और संवेदना
ढूँढ़ना मुश्किल कि है परिवेश खाई की तरह
व्यर्थ है यारो ! किसी नेता में ग़ैरत ढूँढ़ना
कुर्सियों पर आ जमें सब घर जँवाई की तरह
ज़िन्दगी की राह फ़िसलन ही फ़िसलन क्यों न हो
घर से दफ़्तर तक है भ्रष्टाचार काई की तरह
आपका शासन तरक्की का नया इतिहास है
प्रश्न पर्वत हो गए, जो थे राई की तरह