भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपके ईमान के जैसा हुआ है आईना / विनय कुमार
Kavita Kosh से
आपके ईमान के जैसा हुआ है आईना।
टूटने का दौर है टूटा हुआ है आईना।
अक्स अपना चाहता है आईना भी देखना
आईना के सामने चेहरा हुआ है आईना।
है सज़ा सच बोलने की एक सी हर मुल्क में,
है यहाँ गांधी, वहाँ ईसा हुआ है आईना।
आईना के सामने जो भी रहा उसका हुआ
ज़िंदगी भर के लिए किसका हुआ है आईना।
बन रहे हैं, उग रहे हैं, फल रहे हैं आइने
आइनों की भीड़ में खोया हुआ है आईना।
गिर गए हैं दाम आँखों के यहाँ जिस रोज़ से
बस उसी दिन से मियाँ, सस्ता हुआ है आईना।
वो तरावट और वो तनहाइयाँ हम्माम की
याद की दीवार पर लटका हुआ है आईना।
आँख बोलेगी अगर तो आईना देगा जवाब
बंद आँखों के लिए गूंगा हुआ है आईना।
सलतनत तो बच गयी, पर हार बैठा चेहरा
आज घोड़े बेचकर सोया हुआ है आईना।