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आपको और आज़माना क्या? / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
आपको और आज़माना क्या?
आज़माया तो दोस्ताना क्या?
आप दिल में मेरे समाए हैं
आप के सामने ज़माना क्या?
बात सुनता नहीं जहाँ कोई
हाले-दिल उस जगह सुनाना क्या?
हम तो रहते नहीं कहीं टिककर
हम फ़क़ीरों का है ठिकाना क्या?
बात करता है वो बड़ों जैसी
बच्चा अब हो गया सयाना क्या?