भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपको और आज़माना क्या? / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपको और आज़माना क्या?
आज़माया तो दोस्ताना क्या?

आप दिल में मेरे समाए हैं
आप के सामने ज़माना क्या?

बात सुनता नहीं जहाँ कोई
हाले-दिल उस जगह सुनाना क्या?

हम तो रहते नहीं कहीं टिककर
हम फ़क़ीरों का है ठिकाना क्या?

बात करता है वो बड़ों जैसी
बच्चा अब हो गया सयाना क्या?