भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपको सिर्फ आपनी इज्जत का ख़याल है / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपको सिर्फ आपनी इज्जत का ख़याल है।
हमारे सामने ज़िंदगी का सवाल है।

सालभर तो पाला करते बड़े प्यार से,
फिर उन्हीं हाथों ईद को करते हलाल है!

झुकते पलनों की ओर ही मिले हैं सदा,
समय के साथ आप सधे हुए दलाल हैं।

हमारी गति के बीच बने खड्डे-दर-खड्डे,
ये रूढ़ियां तो आपके लिए ढाल हैं।

कहीं भी बनी हुई लीक आपको कबूल,
अपने सामने हर क़दम वही सवाल है।