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आपने मुझको अभी जाना नहीं / कैलाश झा 'किंकर'
Kavita Kosh से
आपने मुझको अभी जाना नहीं
दर्द के रिश्तों को पहचाना नहीं॥
दिल के टुकड़ों के लिए शुभकामना
जिनको आता ज़ख़्म सहलाना नहीं।
सोचने को सोचता हूँ आज भी
ग़ैर को भी ग़ैर तो माना नहीं।
संगिनी, संतान, रिश्ते खुश रहें
इसलिए मुझको है सुस्ताना नहीं।
चैन दिल को, नींद आँखों को मिले
इससे अच्छा सुख का पैमाना नहीं।
सामने सच जि़न्दगी का आ गया
घर-गृहस्थी में है घबराना नहीं।