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आपने मुझको जो यूँ रुस्वा किया है / शुभम श्रीवास्तव ओम

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आपने मुझको जो यूँ रुस्वा किया है,
शुक्रिया! जो भी किया,अच्छा किया है।

आपके अश्कों को हमने भी सहा है,
और कहते हो बड़ा धोका किया है।

भूख को कब तक वो पर्दे में छुपाती,
टूटकर किस्मत से समझौता किया है।

झोपड़ी से सिसकियाँ आने लगी हैं,
आज लगता है कि फिर फाँका किया है।

पीठ पर पर्वत के जितना बोझ लेकिन-
देखिये जज़्बा कि सर ऊँचा किया है।

आपकी सम्भावनाएँ हैं हमेशा-
वक्त कब? किसके लिए? ठहरा किया है।