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आपने ही कौन-सा है तीर मारा / डी .एम. मिश्र
Kavita Kosh से
आपने ही कौन-सा है तीर मारा
मढ़ दिया बस दूसरों पर दोष सारा
चीखती इंसानियत बेफ़िक्र हो तुम
हो गया है कान क्या बहरा तुम्हारा
खून जैसे हो गया है स्याह सबका
पड़ गया है सुन्न जैसे तंत्र सारा
किस तरक़्क़ी की चले हो बात करने
कृषक मरता देश का भूखा बेचारा
भर सके जो भर ले वो गोदाम अपना
हां जी मेक -इन-इंडिया का है ये नारा
बेक़सूरों को पुलिस तब ठोंकती है
राजधानी से जो होता है इशारा
खुद करो तारीफ़ जंगलराज की या
वो करे जो भक्त हो अंधा तुम्हारा