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आपनोॅ बात / सुप्रिया सिंह 'वीणा'
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					अंगो के भाषा छिकै, मिलना छै सम्मान।
हमरा खातिर अंगिका, छेकै जान-परान।।
अमरेंदर, राहुल, विमल, केॅ करतै सब याद।
जें दै नव साहित्य केॅ, रोजे पानी खाद।।
सबसें मिट्ठोॅ छै सखी, अंग देश के बोल।
गद्य-पद्य साहित्य सब, अंगोॅ के अनमोल।।
आय  अंगिका के लली, खोजे छिये मकाम।
कठिन डगर रास्ता बड़ोॅ, तहियोॅ करबै काम।।
	
	