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आपनो घर में आपन्हैं चोरी / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

अपनोॅ घर में अपन्हैं चोरी
कभी डराय कभीयो बलजोरी।

कहै छियों उछलेॅ लागै छोॅ
बक-बक-बक-बक ‘बकेॅ जागै छोॅ
झुठो पर आपनै मुँहजोरी॥

रही-रही केॅ मुँह लटकाये छोॅ
कहला पर ठोरो पटकाय छोॅ
आँख दिखाय करोॅ लतखोरी।

कभी लड़ाय केॅ कभी डराय केॅ
फुसलाय के कभियो धमकाय केॅ
बेलज्जोॅ रङ् करो घुसखौरी॥

झूठोॅ केॅ महलोॅ पर शान
अभियों खाली करो मैदान
मानभॅ नैं, करभौं सरफोरी
कभी डेराय कभियो बलजोरी॥