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आपसे दिल लगा के देख लिया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Kavita Kosh से
राजे-उल्फत छुपा के देख लिया
दिल बहुत कुछ जला के देख लिया
राजे-उल्फत छुपा के देख लिया
और क्या देखने को बाकी है
आपसे दिल जगा के देख लिया
राजे-उल्फत छुपा के देख लिया
वो मेरे होके भी मेरे न हुए
उनको अपना बना के देख लिया
राजे-उल्फत छुपा के देख लिया
तकमील हम भी हो न सके
इश्क को आजमा के देख लिया
राजे-उल्फत छुपा के देख लिया
दिल बहुत जला के देख लिया
कोई कभी तकमील नहीं हुआ
'फैज़' तकमील हम भी हो न सके.