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आपसे नहीं हमको खुद से ही शिकायत है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
आप से नहीं हम को खुद से ही शिकायत है।
जो भी है हुआ हासिल रब की वह इनायत है॥
कौन उसके जैसा जो दर्द सुन सके सबका
मानते नहीं रब को ये अजब रवायत है॥
है विनाश करने की चाह बस गयी मन में
प्रेम से रहो मिल के अब यही हिदायत है॥
हैं सभी भुला बैठे वतन की मुहब्बत को
देश लूट हर कोई जा बसा विलायत है॥
बस विरोध करना ही लक्ष्य है बना जिसका
आज दुश्मनों की वह कर रहा हिमायत है॥