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आप की सरकार में कितने मज़े हैं / डी .एम. मिश्र
Kavita Kosh से
आप की सरकार में कितने मज़े हैं
एक झोला ले के लाइन में खड़े हैं
मुफ़्त राशन खा के मोटे हो गये हैं
मस्त हैं , आराम से सोये पड़ें हैं
स्वामिभक्ती तो हमारी जात में ही
शौक़ से कहिये कि हम कुत्ते बड़े हैं
जो रटा देंगे वही बोलेंगे हम तो
आप के पिंजरे के हम तोते हुये हैं
हम कभी पेट्रोल , डीज़ल को न कोसें
साइकिल अपनी है या पैदल चले हैं
गैस का भी दाम जो चाहे बढ़ा लो
कुछ नहीं दिखता हमें औंधें पड़े हैं
ये सियासत की है दुनिया याद रखना
संभलकर चलना यहाँ धोखे बड़े हैं