भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आप जब इस गाँव में आएँगे / संजय चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
आप जब इस गाँव में आएँगे
तो गाँव के बाहर एक आदमी मिलेगा
दूर से वह आपको देखने लगेगा
और पास जाने पर
'हाँ !' या 'नहीं !' में जवाब देगा
आपसे थोड़ी दूर वह
आपके पीछे-पीछे चलेगा
आपके कपड़ों को
संदिग्ध दृष्टि से देखता हुआ
आप ग्राम-प्रधान के घर जाएँगे
और वहाँ आपको तैयार मिलेगा कोई
दूध में धुली जाति के संस्कार लिए
उससे आपको पता चलेगा
उसकी बिरादरी के भोलेपन का
आप दूसरे घरों में जाएँगे
वहाँ आपको मिलेंगे
कुत्ते
टूटी चारपाइयाँ
और बच्चे
बोझ से दबे हुए
और माँ-बाप
जिंदगी से उकताए हुए
आप जब गाँव से बाहर निकलेंगे
वही आदमी आपके पीछे-पीछे जाएगा
और एक जगह रुक जाएगा
बिना किसी उम्मीद के
आप दोबारा गाँव नहीं जाएँगे
वह आपका इंतजार नहीं करेगा।