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आप ठगे गए / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
ऐसा नहीं लगता
आप ठगे गए
अपने आप से
घर में
बाहर
अपने ही चला दें
वार
और उनका
निशाना भी
अचूक
आप ठहरे फन्ने खां
कोई फरक नहीं पड़ने वाला
आप जैसे
कितने आए
कितने गए
नालायकों की फौज
माँ-बाप की जायदाद पर
ऐश कर रही है...
छोटू लाना एक तंदूरी और
पहले वाले में मजा नहीं आया