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आप तालाब में ज़हर रखिए / विनय कुमार
Kavita Kosh से
आप तालाब में ज़हर रखिए।
नाम अमरित का सरोवर रखिए।
क़ब्र ग़ालिब की सजाते रहिए
और दीवान हटाकर रखिए।
सच यही है कि सच कसैला है
होठ पर सोच समझकर रखिए।
अब नदी खेत में फ़ना होगी
षौक से षौक समंदर रखिए।
चूमिए चांद, सुड़किए सूरज
पाँव भी आसमान पर रखिए।
पंख तन में उगाइये पहले
तब किसी राह में ठोकर रखिए।
क्या पता कब कटे अकेला सिर
एक रावण से मांगकर रखिए।