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आप भी मेरी तरह हर ग़म में मुस्कराइये / मोहम्मद इरशाद
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आप भी मेरी तरह हर गम में मुस्कराइये
इस तरह हर हाल में जीने का लुत्फ उठाइये
बस्तियों में घर बनाना तो बहुत आसान है
मेरी तरह खण्डहरों में आशियाँ बनाइये
करते हो इंसानियत की बातें इतनी दोस्तो
बेसहारों को ज़रा गले से तो लगाइये
बेवजह ए दोस्तो तुम शोर करते हो बहुत
वक्त आये तो वतन पे जाँ भी लुटाइये
कहता है कौन पत्थर होते हैं बेजुबान
जाकर के खण्डहरों में आवाज भी लगाइये