आप से गिला[1] आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम
उस की क्या ख़ता, ला-दवा[2] है गम़
क्यूँ गिला करें चारागर[3] से हम
ये नवाज़िशें[4] और ये करम[5]
फ़र्त-ए-शौक़[6] से मर न जाएँ हम
खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम
ये अगर नहीं यार की गली
चलते-चलते क्यूँ रुक गए क़दम
शब्दार्थ
- ↑ उलाहना, शिकायत
- ↑ लाइलाज़, जिसका ठीक न किया जा सके
- ↑ वैद्य, हक़ीम, चिकित्सक
- ↑ मेहरबानी, कृपा अनुग्रह
- ↑ दया
- ↑ प्रिय वस्तु का लालच