भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आप से गिला आप की क़सम / सबा सीकरी
Kavita Kosh से
आप से गिला<ref>उलाहना, शिकायत</ref> आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम
उस की क्या ख़ता, ला-दवा<ref>लाइलाज़, जिसका ठीक न किया जा सके</ref> है गम़
क्यूँ गिला करें चारागर<ref>वैद्य, हक़ीम, चिकित्सक</ref> से हम
ये नवाज़िशें<ref>मेहरबानी, कृपा अनुग्रह</ref> और ये करम<ref>दया</ref>
फ़र्त-ए-शौक़<ref>प्रिय वस्तु का लालच</ref> से मर न जाएँ हम
खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम
ये अगर नहीं यार की गली
चलते-चलते क्यूँ रुक गए क़दम
शब्दार्थ
<references/>