आबेॅ केकरा कहबौ दागी।
जेलर केॅ कुछ पता चलै नै चोर जाय छै भागी।
जे सबसेँ बड़का रागी छै, बनलोॅ वहेॅ विरागी।
जनता-हित केॅ त्यागी देलकै नेता सबटा त्यागी।
मंचे-मंच पुजावेॅ लागलै कलकोॅ द्रोही-बागी।
कोय तेॅ तार्है मेँ खुद्दन दै रात-रात भर जागी।
कोय गंग्है केॅ रोज सुखावै आपनोॅ स्वारथ लागी।
देखोॅ पुरहैते बोलै छै-कण्टाहा बड़भागी।
अमरेन्दर एक्के रँ बालै-शुक, पिक, कागा-कागी।