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आब वरनन प्रेमी चुहरा के सुनियौ / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आब वरनन प्रेमी चुहरा के सुनियौ
हा घर लगै छै मोकमागढ़मे
राजा चन्द्रसेन के बेटा लगैय
हौ चौदह कोश आय मोकमा बीचमे
हा सात सय हर मोकमा मौजेमे बहैय
सात सय चर के हेड मैनेजर
बैठले हिस्सा चुहर के मिलै छै
से तऽ आइ चुहरा किया नौकरी किया करै छै यौ।
हौ जाहि दिन जनमुआ चन्द्रा
पकरियामे लऽ लेलकै
तहि दिन से नौकरी चुहरा करैय
हौ बाहर बरिस आय मोकमा से छुटलै
राज पकरियामे चुहरा के मिलै छै
बारहो बरिस आय नौकरी करैय
चन्द्रा कोहबर पहरा छेलै
हौ चन्द्रा खबरि महलमे गेलै
स्वामी बान्हल जेलमे गयलै
केना स्वामी करबै नौकरिया
छली-बल-कल के चन्द्रा बुधि आय रचै छै यौ।
हौ रानी चन्द्रा बुधि रचैय
भागल गयलै ड्योढ़ी परमे
सभुआ लागल ड्योढ़ी पर छेलै
तहि बीचमे चन्द्रा बोलीया की बोलै छै।
सुनियौ हौ बाबू दिल के वार्त्ता
जहि दिन से चुहरा नौकरी करै छह
आब नै चुहरा पहर नै दइहऽ।
बारह बरिस के उमरिया लगै छै
अल्फा वयस तरूणीया बीतलै
घर-घर दुश्मन पकरिामे लगै छै।
चुहरा हौ बुढ़ पकरिया भऽ गेल
कहिया नै पहरा चुहर करै छै।
सभ दिन जाइ छह हौ टेढ़ीया बाजारमे
दारू पीयै छै चाँर चुहरमल
सात टिन दारू चुहरा पीबै छै
कहियो ने पहरा बाबू चुहरमल करै छै हौ।