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आमक गााछ / दिलीप कुमार झा

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बाबाक अथक प्रयासक प्रतिफल ई गाछ
बैसाख मासक टहटहाइत रौदमे
बाबा रोपलनि ई गााछ
हरियर चतरल सुन्दर आमक गाछ
चाकर नाम करिछौंह एकर पात
नाम जर्दालू कलकतिया गुलाबखास

वसनी में पानि आनि-आनि पटौने छथि बाबा
पिल-पिल करैत गाछ कें जियौने छथि बाबा
बेटा आ पोताक लेल प्रकृति के सजौने छथि बाबा
बेटा त चिन्हैत छल अपन गाछ कें
कलकतियाक पात कें
पोता कें कहाँ बुझल छनि गाछक की होइछ अर्थ
ओ किताब में एतबा टा पढने छथि
जे गाछ नहि रहत त होयत अनर्थ।

एकबेर बाबी पठौने छली सुपारी सन-सन सरही आम
पोता-पोती सभ फ्रूटी रखल ओकर नाम
बाबाक बाद कोना रहत ओ गाछ?
के पटायत ओकरा पानि?
के कोरत ओकर जड़ि?
बौआ अहाँ विज्ञान में पढैन छी
जड़ि सं गाछ कें भेटैत छै पोषण आ भोजन
हमरो जड़ि छथि बाबा आ हुनक रोपल गाछ
गाछ में बसैत छनि बाबाक आत्मा
गाछक रक्षा सं बाबा हेताह प्रसन्न
गाछ बिलहत कांच, पाकल, डम्हरस आम
वातावरण कें आक्सीजन
चिड़ै चुनमुनी कें आश्रय
पूरा हेतैन बाबी क पोती पोता कें आम खुयबाक मनोरथ।
बौआ! चलू गाम देखि आउ अपन गाछक आम
ओतहि भेटतअपन जडि़
जड़िये सं होयत विकास
ओकरे प्रेरणा सं सम्पूर्ण संसार कें करब प्रकाश।