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आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़ान-ए-सदा-ए-आब है / ग़ालिब

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आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़ान-ए-सदा-ए-आब है
नक़्श-ए-पा जो कान में रखता है उँगली जादा से

बज़्म-ए-मय वहशत-कदा है किस की चश्‍म-ए-मस्त का
शीशे में जब्ज़-ए-परी पिन्हाँ है मौज-ए-बादा से

देखता हूँ वहशत-ए-शौक़-ए-ख़रोश-आमादा से
फ़ाल-ए-रूस्वाई सरिश्‍क-ए-सर-ब-सहरा-दादा से

दाम गर सब्ज़े में पिन्हाँ कीजिए ताऊस हो
जोश-ए-नैरंग-ए-बहार अर्ज़-ए-सहरा-दादा से

ख़ेमा-ए-लैला सियाह ओ ख़ाना-ए-मजनूँ ख़राब
जोष-ए-वीरानी है इश्‍क़-ए-दाग़-ए-बैंरू-दादा से

बज़्म-ए-हस्ती वो तमाशा हैकि जिस को हम ‘असद’
देखते हैं चश्‍म-ए-अज़-ख़्वाब-ए-अदम-नकुशादा से