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आम्रपाली / कोनहारा / भाग 6 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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पेन्डुलम नाहित डोले सैनिक
सम्हरे न ओक्करो से तीर।
मौका देख बज्जी बरसाबे
मेघ-लेखा तीर-पर-तीर॥51॥

विशाल के छाति फुले गजभर
सुनकऽ इ सुखद समाचार।
अजात खिसिआएल बिलाइ सन
खम्हा नोचे उ बारम्बार॥52॥

देखइत-देखइत में मग्गह के
सैनिक तुरंत अधिया गेल।
जेन्ना चमकइत अर्क के उप्पर
बादर आकऽ अब भर गेल॥53॥

हेलबाक सब्भे डुबल जल में
डूबल सेनानी अम्रपालि।
बचाबे लेल सबके जान
फेके मगह जाल हालि-हालि॥54॥

दहा गेल बहुते बीर सैनिक
आउरो कुछ निकल बच गेल।
सब बेआरी मछरी जौरे
एगो रोहुओ ई फँस गेल॥55॥

सैनिक सऽ के छज्ञनलक जल से
करइअ अब ओक्कर उपचार।
जार से थर-थर काँपे सब्भे
अम्बा भागे ला करे बिचार॥56॥

सुनीध शक करे एक्करा पर
अजात के पारे उ गदाल।
देखकऽ इन्ने-उन्ने अम्रपाली
गङा में कूद गेल इ छपाक॥57॥

गोता मार भागल अम्रपालि
तुरन्ते कूदल गोताखोर।
रोह मछरी सन् हेलल अइसन
चलल न अब इ केक्करो जोर॥58॥

डुबल दस गो जहाज मग्गह के
डुब गेल ओक्कर बनल होश।
समेट सैनिक सअ के सुनीध
कऽ जयकार बरहावे जोश॥59॥