आम्रपाली / युद्ध / भाग 11 / ज्वाला सांध्यपुष्प
तुरङ हिनहिनाए दुन्नो के, झनझनाए तलवार।
जब तक विशाल सम्हरे इ, अजात करे उ वार॥97॥
मन में अजात के पाप, हए सउनाउल खूब।
पवित्र विचार से भरल, होए विशाल उब-डूब॥98॥
अकारण युद्ध के डंका, बजाबे उ कच्चा हए।
नारी-रक्षा लेल घेंट कटाबे नर सच्चा ए॥99॥
बाह नाग-सन दुन्नों के, हए छाती चकरगर।
अप्पन मास बाँट देबे, उ हए असली फरहर॥100॥
भीम-सन खून पिए छाती, दुस्सासन के फाड़।
नारी के जे करे सुरक्षा, ओक्कर बेरा पार॥101॥
पुरुषार्थ न तागत खोजे, डरे न काएर से उ।
वीरता उमर न ढूँर्हे, जेन्ना छन्द शायर उ॥102॥
बात-बात में बादल बन, दुन्नो लोहा आ मिलल।
टकराएल दुन्नो पल में, आग फेरू बरसे लग्गल॥103॥
करे आड़ी सन अघात, अजात इ विशाल पर।
ढाल के उछाल विशाल, करे वार काल पर॥104॥
तलवार चला तिरछा इ, काटे लेल गरदन।
झन-झन करे तलवारो, भोंके लेल हरदम॥105॥