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आम्रपाली / युद्ध / भाग 12 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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विशाल चला तलवार, तोड़े अजात के ढाल।
हाल खराब अजात के, काल बजाबे गाल॥106॥

पाएल सन बोले तलवार, नाचे उ नर्तकी सन।
घाएल मग्गहराज तुरत, बरसे उ लुत्ती सन॥107॥

खन-खन कखनियो झन-झन, बजारे उ तरूआर।
मुदा विशाल बादल बन, बरसे ला तइआर॥108॥

लग्गल चोट अइसन अखनि, गिर गेल इ शिरस्त्राण।
कपार उघाड़ अजात के, माङे जीवन-दान॥109॥

कुदल रथ से दुन्नो बीर, जान लेबे खातिर।
भोंके शत्रु के तलबार, आन् बचावे खातिर॥110॥

अजात अघात लग गिरल, जेन्ना बर्तन-बासन।
कवच फाड़ बतएलन इ, विशाल अप्पन आसन॥111॥

अरमराए कखनियो तअ, फुफकारे उ अजात।
चिचिआए नया जिनगी ला, जेन्ना शिशु नवजात॥112॥

सुमिर राम के विशाल, मारे अस्त्र होशियार।
लग्गल लोहा पर लोहा, दु टुक भेल तरुआर॥113॥

मौका मिलल बज्जी के इ, करे ला अखनि वार।
भोंके ला तइआर विशाल, चोख करे तलबार॥114॥