आम्रपाली / युद्ध / भाग 2 / ज्वाला सांध्यपुष्प
चन्डभद्रिक सेनापति के, बाँह खूब पुजाइअ।
उपसेनापति सोनप्रभ, जल पर पुल बनबइअ॥11॥
चिउँटी सन् नइआ दउरे, सौ-सौ झुण्ड बनाकऽ।
हए भिरल बानर-सेना, बनाबे पुल सटाकऽ॥12॥
उप्पर इन्जोरिआ उग्गल उ पेटकुनिए हए परल।
उज्जर चद्दर सन् दरिआव, सरकइअ खूब जग्गल॥13॥
कएलक कब्जा कूणीक इ, राघोपुर पर तखनि।
सेना सऽ के लाकऽ हियाँ, शिविर बनएलक अखनि॥14॥
पुल बनल हए परल अब, अजात करे बिचार।
सेनापति सोनप्रभ कहे, व्यूह रचे के चार॥15॥
मत्स्य-मकर-व्यूह गङ में, भूमि पर कूर्म-गरुड़।
कइसनो रथि, महारथि, फँस जएतन एमें पड़॥16॥
आएल हाथी-घोड़ा इ, आ गेल जौरे रथ।
मोटरीवाहक सैनिक, लएलक खूब आयुध॥17॥
फरसा, गदा, शतघ्नी रहे, आउर रहे तिरसुल।
तोमर, पिनाक, शुल देख, हिया में उट्ठे शूल॥18॥
भर गेल टापू खड्ग से, चाप, धनुष से अखनि।
भिन्दिपाल, पट्टिश, बरूथ, चक्र, चले ला करे अखनि॥19॥
बहे पुरबइया अइसन, देह कपँइअ थर-थर।
हाथी भुक्खल चिग्घारइअ, दउरे लगइअ रह-रह॥20॥