आम्रपाली / युद्ध / भाग 4 / ज्वाला सांध्यपुष्प
इ मग्गह-बज्जी बीच भेल, युद्ध टाले पर बिचार।
सुनीध-नागसेन दुन्नो, बइठलन् मुदा बेकार॥31॥
सेनाधिकारी सअ के, वार्ता ला बोलएलन।
रणनीति कइसन हो अप्पन, नागसेन समझएलन॥32॥
सेनापति सिंह सेना के, दू भाग में कएलन।
बज्रनाभि कोनहारा, अभीति चेचर गेलन्॥33॥
सेनापति सोनप्रभ कन, नियम युद्ध के भेजलन।
शंख बजइते होत शुरू, सुरुज डुबइते खतम॥34॥
शरणागत पर न वार करू, मृत पर न तलबार।
घाएल, चिकित्सक, निःशस्त्र के, न सकत हतऽ तु मार॥35॥
जे परबह करे लहास के, रहे ऊ निपरबाह।
भतपक्का, बजनिया, नारि के निकल् सके न आह॥36॥
पदाति लड़त पदाति से, गजाति से गजाति।
रथ रथ पर हमला करत, नेम एहे बन गेलि॥37॥
गदा चलाउ गदाधर पर, तीर तीरमार पर।
फरसा से फरसुराम के, मारअ जी-जी भर कऽ॥38॥
नौका दल पर न फेके, कोनो भुमि से बान।
हमला होएत न ओपर, जे हो सुतल अन्जान॥39॥
कट्टल गुड्डी-सन चान गिरल, पताइत पच्छिम ओरि।
अरुण-कमल सन् सुरुज इ, मारे हुलकि बलजोरि॥40॥