आम्रपाली / युद्ध / भाग 9 / ज्वाला सांध्यपुष्प
लगा निशान नागसेन, मारे ऊ छाती पर।
ढाल बीच में अरा ई, करे वार धाति पर॥79॥
भद्रिक भाला चला चाहे, करे नाग के घाव।
नाग उछल उ लेउर के, चले न देबे दाव॥80॥
केक्करो बाँह, जाङ से, केक्करो खुन बहइअ।
गुत्थमगुत्थी हो जाए पर, तुरत ओङ्रा जाइअ॥81॥
गिर जाइअ, उठ बइठइअ, निहुरियो कऽ उ लड़इअ।
लगे भाला जोट खेले, तऽ एहो दुन्नो गिरइअ॥82॥
भाला गिरल धरती पर, दुन्नो पकड़कऽ तकइअ।
अइसन झिट्का मारलक कि, भाला दूर गिर जाइअ॥83॥
भाला भागल, गिरल् दुन्नो, मल्ल युद्ध ला तइयार।
पटक-पटक कअ कराबे, छट्ठी दूध के याद॥84॥
दुन्नो पलरा हए बरोबर, पसङा कोन बताउँ।
कोन मरत कोन जीयत, इ कइसे हम बुझाउँ॥85॥
काल दुन्नो अब हए भिरल, जेन्ना साँरह लड़इअ।
ढाही मार गिराबे उ, तऽ इ ओकरा पटकइअ॥86॥
युद्धभूमि पर गिरल दुन्नो, अब होकअ बेहोश।
मरल न एक्को कोई, न हए बीरता के इ दोष॥87॥