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आम्र-कुंजों में उभरता वियतनाम / रणजीत

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तुमने एक बया को पिंजरे में डालकर
उसके घोंसले में
भोंक कर रख दिया है एक छुरा
बिल्कुल मेरे पड़ोस में -
नहीं, मेरे जिस्म पर
मेरी काँख के नीचे ऐन मेरी पसलियों पर
याहिया खान !
और मैं छटपटाता हूँ
रेडियो से लगाए हुए कान ।
कैसी विडम्बनापूर्ण स्थिति है तुम्हारी - शेख मुजीबुर्रहमान !
कि तुम अपने लिए तैयार किए गए एक चेकोस्लोवाकिया को
वियतनाम में बदलने के लिए मज़बूर हो गए ।

एक निहत्थे राष्ट्र पर बरसाए जा रहे हैं बम
क्योंकि उसने अपने नक्शे पर अपना नाम लिख दिया है
एक शस्य-श्यामल खेत को रोंद रहे हैं भारी-भरकम टैंक
एक महिला छात्रावास को घेर लिया है
बख़्तरबंद गाड़ियों के गिरोह ने
और उसकी जाँघों में भोंक दी हैं अनगिनत संगीनें
और सब चुपचाप देख रहे हैं...

चुप हैं राष्ट्रीय स्वाधीनता और समानता के परंपरागत हिमायती
क्योंकि यह वियतनाम नहीं है
इसमें घुला हुआ थोड़ा-सा चेकोस्लोवाकिया
उनके गले में अटक जाता है
और चुप हैं आज़ादी और जनतंत्र के सारे ठेकेदार
सर्वसम्मति के निकट पहुँचे हुए प्रचण्ड जनमत से चुनी हुई
एक जनवादी सरकार को
हथकड़ियों और गोलियों से शपथ दिलवाए जाते देख कर भी
क्योंकि यह चेकोस्लोवाकिया नहीं है
मुजीबनगर के आम्रकुंजो में उभरता हुआ वियतनाम का भूत
उन्हें भयभीत किए हुए है ।

चुप है ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ जैसे गौरवपूर्ण नाम को चुराकर बैठा हुआ
बेशर्म स्वार्थियों का वह अन्तरराष्ट्रीय गिरोह
जिसके दरवाज़े तब तक नहीं खुलते
जब तक कि कोई लात मार कर नहीं खोल देता ।

लेकिन इस शताब्दी का सबसे बेहूदा और सबसे बड़ा मज़ाक
पेइचिंग में हो रहा है
जहाँ वियतनाम और चेकोस्लोवाकिया
दोनों के लिए बढ़-चढ़कर बोलने वाला
और दुनिया के किसी भी कोने में हुई
किसी भी छोटी-मोटी खटपट को
जनता का मुक्ति-संग्राम घोषित कर
उसके समर्थन के लिए उतावला रहने वाला माओ त्से तुंग
सिर्फ़ चुप ही नहीं है
वह याहिया के लिए छुरियाँ भी तेज़ कर रहा है ।

तुम अपनी इस बेहयाई को
सिद्धान्तवादिता के कौन से गढ़हे में धोओगे, माओ !
ज़रा सोचो तो !

हाथ पर हाथ धरे देख रही है सारी दुनिया
टुकुर टुकुर
जैसे आदमी औरतें और बच्चे नहीं
मुर्गे काटे जा रहे हों
किसी भोज की तैयारी में ।

सिर्फ़ बड़बड़ा रहा है सच्ची हमदर्दी के साथ
एक नपुंसक
और इन्तज़ार कर रहा है उस घड़ी का
जब उसे लाचार होकर कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा ।

बेचारा इतिहास
किस किस को माफ़ करेगा?
और तुम, मुजीब !
तुम्हारा क्या होगा?
क्या होगा तुम्हारा -
हो ची मिन्ह बनने के लिए मज़बूर कर दिए गए दुबचेक !
क्या तुम भी लुमुम्बा की तरह चुपचाप
घोल दिए जाओगे तेज़ाब में ?