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आम के रखवारी / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना
Kavita Kosh से
आम के गाछी में
मचान बनाकऽ करइत रखवारी
ऊ तीले-तीले खंसइअऽ
त कहियो बोलावे लगइअऽ-
अप्पन ननकिरबा के
ई जनावेला-
कि ऊ जगले हए
आऊर चउकस हए
आम के चोरी से बचावे खातिर
तइयो लरिका-फरिका
अन्हार के फयदा उठा क
गमे-गमे चढ़ जाइअऽ आम के पेड़ पर
आ तोड़ लेइअऽ बोरा भर आम
त बाकी के लरिका
अप्पन जीत के जस्न में
पिहकारी मारे लगइअऽ
त रखवार गारी बकइत
एन्ने से ओन्ने दउड़इत
खांसइत रह जाइअऽ
आ लरिका-फरिका फेनू दोसर गाछी के तरफ
बढ़ जाइअऽ।
आम के टिकोला से पकला तक
आम के रखवारी करइत
रोज-रोज अइसने घटना
घटइत रहइअऽ गाछी में
आउर बुढ़वा-जवनका के झगरा
चलइत रहइअऽ एनाहिते
आम के ओराएल तक।