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आम से इमली बहुत मीठ हो बाबा / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत के प्रारंभ में आम से अधिक इमली की मिठास और महुए में पुष्प-गुच्छ लग जाने का वर्णन हुआ है। आम, इमली और महुए के पुष्प-गुच्छ का उल्लेख करके एक तो वसंत के आगमन की सूचना है और दूसरा इमली की खटाई के प्रति युवती लड़की का आकर्षण तथा महुए के फूल के वर्णन से उसके यौवनोद्गम का भी संकेत किया गया है।

आम से इमली बहुत मीठ हो बाबा, बाबा, लागि गेल महुआ सेॅ खोंच<ref>गुच्छा; जिसमें महुए के फूल लगते हैं; कोंच</ref>।
सोजन लोग घेरल हे॥1॥
कै सै आयत हाथियो घोड़ा, कै से लोग बरियात।
सोजन लोग घेरल हे॥2॥
दस सै आयल हाथियो घोड़ा, बेटी, दस सै लोग बरियात।
सोजन लोग घेरल हे॥3॥
कै भैया आबै ओहो रे सुन्नर बर, कथि लागि रूसल दमाद।
सोजन लोग घेरल हे॥4॥
पाँच भैया आबै ओहो रे सुन्नर बर, अँगुठी लागि रूसल दमाद।
सोजन लोग घेरल हे॥5॥
होवे दे परात<ref>प्रातः</ref> बेटी, पसरत<ref>फैल जायगा; लग जायगा</ref> हटिया<ref>हाट; बाजार</ref> अँगुठी बेसाहि<ref>खरीदकर</ref> हम लायब।
सोजन लोग घेरल हे॥6॥
बेटी, दीहऽ छिनारी पुत हाथ, हलसि घर जायत।
सोजन लोग घेरल हे॥7॥

शब्दार्थ
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