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आयग्या काम / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
म्हारै जळम रो साखी
साळ रो जूनो सैंथीर.!
चालतां गुडाळियां
सिखायो खड़ो होवणो
बारणै री चौघट।
ठण्डी तासीर-पळींडो
हथाई करतो आंगण
घर होवणै रो परमाण
कांगसी जोडयां छात.!
देखतां देखतां
आंख मींच
जाड़ भींच
अेक अेक कर
आयग्या काम
सरकारू म्होर रै फरमान.!