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आयेगा उनका सामने किरदार देखना / मोहम्मद इरशाद


आयेगा उनका सामने किरदार देखना
होंगे सरे महफिल हम शर्मसार देखना

हालात जो हैं आज वो कल तक रहेंगे तो
हो जायेगा जीना बड़ा दुश्वार देखना

पढ़ता है कौन कत्लो-फसाद की ख़बरें
आदत सी हो गई है अख़बार देखना

कोई तुम्हारे गम का वारिस नहीं है आज
ख़ुशियों मे कितने आएँगे हकदार देखना

उनसे अगर ये पूछो कि बातिल का दोगे साथ
वो किस अदा में करते हैं इनकार देखना

आने में उनके देर है फिर देख लेना तुम
सेहरा भी ये हो जायेगा गुलज़ार देखना

‘इरशाद’ एक बार तो आवाज़ दीजिये
दौडे़ चले आएँगे फिर बीमार देखना