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आयौ चरन तकि सरन तिहारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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आयौ चरन तकि सरन तिहारी।
बेगि करौ मोहि अभय, बिहारी!
जोनि अनेक फिर्यो भटकान्यो।
अब प्रभु पद छाड़ौं न मुरारी!॥
मो सम दीन, न दाता तुम सम।
भली मिली यह जोरि हमारी॥
मैं हौं पतित, पतित-पावन तुम।
पावन करु, निज बिरद सँभारी॥