आयौ चरन तकि सरन तिहारी।
बेगि करौ मोहि अभय, बिहारी!
जोनि अनेक फिर्यो भटकान्यो।
अब प्रभु पद छाड़ौं न मुरारी!॥
मो सम दीन, न दाता तुम सम।
भली मिली यह जोरि हमारी॥
मैं हौं पतित, पतित-पावन तुम।
पावन करु, निज बिरद सँभारी॥
आयौ चरन तकि सरन तिहारी।
बेगि करौ मोहि अभय, बिहारी!
जोनि अनेक फिर्यो भटकान्यो।
अब प्रभु पद छाड़ौं न मुरारी!॥
मो सम दीन, न दाता तुम सम।
भली मिली यह जोरि हमारी॥
मैं हौं पतित, पतित-पावन तुम।
पावन करु, निज बिरद सँभारी॥