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आरती 'लोकेश' / परिचय

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उत्तर प्रदेश के एक सुशिक्षित परिवार में जन्मी डॉ. आरती 'लोकेश' ने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री में कॉलेज में द्वितीय स्थान व दिल्ली से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर में यूनिवर्सिटी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। राजस्थान से हिन्दी साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि हासिल की। अट्ठाईस वर्षों से अध्यापन कार्य में संलग्न हैं। पत्रिका, कथा-संग्रह तथा काव्य-संग्रह का संपादन कार्यभार भी सँभाला। शारजाह, यू.ए.ई. में लगभग बीस वर्ष विभिन्न शैक्षणिक पदों पर कार्यरत रहने के उपरांत न्यू डी.पी.एस. शारजाह में सुपरवाइज़र के रूप में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त शोध-निर्देशन का कार्यभार भी सँभाला हुआ है।
डॉ. आरती 'लोकेश' की अब तक आठ पुस्तकें प्रकाशित हैं। सन् 2015 में उपन्यास 'रोशनी का पहरा' , सन् 2017 में उपन्यास 'कारागार' , काव्य-संग्रह 'काव्य रश्मि' , 'छोड़ चले कदमों के निशाँ' तथा 'प्रीत बसेरा' , कथा-संकलन 'झरोखे' व 'साँच की आँच' तथा शोध ग्रंथ 'रघुवीर सहाय के गद्य में सामाजिक चेतना' प्रकाशित हुए हैं। अ‍ब तक प्रकाशित पुस्तकों में से दो उपन्यास 'रोशनी का पहरा' तथा 'कारागार' बहुत चर्चित हुए हैं।
डॉ. आरती की कई कहानियाँ तथा कविताएँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं 'शोध दिशा' , 'इंद्रप्रस्थ भारती,' गर्भनाल',' वीणा',' परिकथा दोआबा 'तथा' मुक्तांचल'में प्रकाशित हुई हैं। कविता' माँ तुम मम मोचन'साहित्यपीडिया द्वारा पुरस्कृत हुई है। अनेक यात्रा-संस्मरण तथा तथ्यात्मक आलेख पत्रिका' प्रणाम पर्यटन',' वीणा',' हिंदुस्तानी भाषा भारती'तथा अंग्रेज़ी मैग्ज़ीन' फ्राइडे' में प्रकाशित हुए हैं।
डॉ. आरती को लेखन का शौक बाल्यकाल से ही रहा। माता-पिता ने इस शौक को ख़ूब बढ़ावा दिया तो साथ ही सभी सम्बंधियों का भी अनन्य सहयोग प्राप्त हुआ। पहले-पहल तो विद्यार्थी काल में विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु लेखन किया फिर एक शिक्षिका के रूप में अपने छात्रों को प्रतिभागी बनाने के लिए लेखन किया। परिजनों, मित्रो तथा सहयोगियों के प्रोत्साहन से विधिवत लेखन कार्य प्रारंभ किया। लेखन कार्य की प्रथम समीक्षा करने में पति तथा पुत्र-पुत्री ने महती भूमिका निभाई। डॉ. आरती स्त्री-पुरुष के समानाधिकार की समर्थक हैं। उनकी गद्य-पद्य सभी रचनाओं स्त्री के विचार, उद्गार और अंतर्मन चित्रित होते हैं।