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आरती / 3 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
मृत्यु-मुद्रावाले मदनगोपाल श्रीकृष्ण की इस आरती में नाटयकर्मी उनके दर्शन की याचना करता है।
तेबड़ा
जय जय जयति मदन गोपाल॥टेक॥
करत नृत्य बलराम माधो संग बहुत ब्रजबाल।
केहू बजावत झाल-सरंगी, केहू बा पीटत पराल॥
मोर मुकुट बिराजे कछनी सोहत कुण्डल-माल।
सरसे गावत राग गौरी चलत छम छम चाल॥
कहे ‘भिखारी’ देहु दरस नित मोहिके देवकी लाल। जय जय जयति मदन गोपाल॥