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आरू जोतन लग्या गज मोंगर ओ / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आरू जोतन लग्या गज मोंगर ओ
आरू जोतन लगी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू जंगल नक्यो गज मोंगर ओ
आरू जंगल नकीऽ नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू सिवान प आयो गज मोंगर ओ
आरू सिवान प आई नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू गोठान प आयो गज मोंगर ओ
आरू गोठान प आयो नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू गल्ली मऽ आयो हर्दया मोंगर ओ
आरू गल्ली मऽ आयी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू आँगन म आयेा हर्दया मोंगर ओ
आरू आँगन म आयी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू गड़न लग्या गज मोंगर ओ
आरू छावन लगी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।