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आरू बाबुल आवय नी जाय / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आरू बाबुल आवय नी जाय
अहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।
आरू एक छन देखय वा बाट
काका जी मऽ रोअ् कब आवय।
आरू काका जी आवय नी जाय
अहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।
आरू एक छन देखय वा बाट
भैया मऽ रोअ् कब आवय।।
आरू भैयाजी आवय नी जाय
अहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो
आरू एक छन देखय वा बाट
मामाजी मऽ रोअ् कब आवय।
आऊर मामाजी आवय नी जाय
अहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।
आरू एक छन देखय वा बाट
मावस्या मऽ रोअ् कब आवय।
आरू मावस्या जी आवय नी जाय
अहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।
आरू एक छन देखय वा बाट
बव्हनय मऽ रोअ् कब आवय।
आरू बव्हनय आवय नी जाय
अहीर मऽ रोअ् अड्अ् रह्यो।।